चावल की खेती कैसे होती है और धान की खेती में खाद को कैसे उपयोग करें।

चावल की खेती कैसे होती है और धान की खेती में खाद को कैसे उपयोग करें। 

दुनिया भर में चावल की खेती के लिए लगभग 7000 से भी अधिक किस्में उपलब्ध हैं जिनकी पैदावार से सभी जगह पर चावल  उपलब्ध कराया जाता है आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं की वास्तविक में सही तरीके से चावल की खेती कैसे होती है और चावल की खेती के लिए क्या-क्या चीजें जरूरी होती हैं बीज लगाने से लेकर फसल काटने तक पूरी जानकारी इस आर्टिकल में दिया जाएगा और बहुत से लोग हैं जिन्हें अपनी धान में खाद से संबंधित जानकारी चाहिए तो इसी आर्टिकल में आपको यह भी बताएंगे कि धान की खेती में खाद को कैसे उपयोग करें। 

चावल की खेती कैसे होती है और धान की खेती में खाद को कैसे उपयोग करें।

अगर आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ते हैं तो आपको सही जानकारी प्राप्त होगी जिससे कि आपको धान की खेती करने के लिए एक आइडिया मिल जाएगा और आप सही तरीके से धान की  खेती कर सकेंगे और अपनी अनुभव से अच्छा पैदावार भी कर सकेंगे इस आर्टिकल में स्टेप बाय स्टेप धान की खेती से संबंधित बातें बताई जाएंगी जो कि आपके लिए अधिक लाभकारी साबित हो सकती हैं तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढियेगा। 

चावल की खेती कैसे होती है –

चावल की खेती करने के लिए अधिक पानी की जरूरत पड़ती है और इसकी खेती में कम श्रम लगता है जिसका अर्थ है अगर आपका क्षेत्र अधिक वर्षा वाला है लेकिन श्रम का साधन कम है तब भी आप धान का एक अच्छा पैदावार कर सकते हैं चावल की खेती के लिए मुख्यतः तीन तरीके हैं। 

चावल की खेती कैसे होती है और धान की खेती में खाद को कैसे उपयोग करें।

  • तराई या धान की खेती ( दुनिया भर में अधिकतम धान कृषि की भूमि) धान को ऐसी जगह पर बोया जाता है जहां पर वर्षा या सिंचाई का पानी अधिकतम मात्रा में फसल को मिल सके इसके लिए खेत में न्यूनतम 2 इंच से अधिकतम 20 इंच तक पानी चाहिए। 
  •  तैरता हुआ या गहरे पानी में पैदा हुए चावल अगर धान की खेती अधिक गहरे स्थान पर होता है जहां पानी की ऊंचाई 20 इंच से अधिक हो तो इसके लिए धान की कुछ ही प्रजातियां होती हैं जो ऐसी जगह पर पैदा हो सकती हैं सभी किस्म ऐसी जगह के लिए सही नहीं होती। 
  • पहाड़ी इलाके में चावल की खेती दुनिया भर में बहुत कम ही जगह पर या खेती की जा सकती है अक्सर पहाड़ी इलाकों में जहां पर वर्षा की मात्रा थोड़ी अधिक हो वहीं पर चावल पैदा किया जा सकता है इसके लिए पानी को रोकने के लिए कुछ तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि धान की खेती के लिए पानी बहुत जरूरी होता है यह धान की जड़ों को अधिक गर्मी से तो बचाता ही है साथ ही जंगली घासो को भी नहीं होने देता जिससे धान का विकास जल्दी होता है और पैदावार भी अधिक होता है। 

धान की खेती किस महीने में होती है-

धान की खेती खरीफ फसलों के अंतर्गत आती है इसके लिए जब खरीफ फसलों का बुवाई शुरू होता है तभी धान की बीज को बोया जाता है और कुछ ही दिनों बाद धान की रोपाई शुरू हो जाती है आप बात करते हैं कि धान की खेती किस महीने में होती है तो यह धान की किस्मों पर आधारित होती है लेकिन अधिकतम धान की बुवाई 15 मई से 20 जून तक के बीच में हो जाती है। 

धान की खेती में खाद-

वैसे तो बिना किसी खेत की उपज शक्ति के परीक्षण के बिना यह नहीं बताया जा सकता कि किस खेत में कौन सा खाद और कब मिलाया जाए लेकिन सामान्य तौर पर धान की खेती में खाद का उपयोग करने का कुछ प्रसिद्ध नियम है जो लगभग सभी जगह पर इस्तेमाल किया जाता है। 

चलिए अब बात कर लेते हैं धान की खेती में खाद को उपयोग करने की सामान्य विधि के बारे में तो इसके लिए जब धान की रोपाई होती है उसी समय या 10 से 15 दिन बाद धान में पहली बार खाद डाला जाता है फिर लगभग 50 से 60 दिनों बाद दूसरी बार खाद का इस्तेमाल किया जाता है। 

बहुत से किसान भाई बुवाई या रोपाई के दिन या 10 से 15 दिन बाद प्रत्येक हेक्टेयर 0,5 टन एन-पी-के 30-10-10 प्रति हेक्टेयर भूमि में इस्तेमाल करते हैं। पहले प्रयोग के लगभग 50 से 60 दिनों के बाद, किसान भाई प्रति हेक्टेयर 0,2-0,3 टन एन-पी-के 40-0-0 या 33-0-0 इस्तेमाल करते  हैं। ध्यान रखें कि 1 टन 1000 किलो ग्राम के बराबर होता हैं और 1000 किलो ग्राम 2.200 पाउंड के बराबर होता है और 1 हेक्टेयर 2,47 एकड़ के बराबर होता है जो की 10.000 वर्ग मीटर के बराबर होता हैं। 

धान की खेती में नाइट्रोजन का इस्तेमाल 

धान की खेती में नाइट्रोजन सबसे जरूरी पोषक तत्व होता है अगर धान की अच्छी खेती चाहिए तो नाइट्रोजन की मात्रा भरपूर दें कई किसान फसल लगाने के 20 से 25 दिन में अपनी धान में नाइट्रोजन डालते हैं धान में अधिक पैदावार के लिए उसमें पुष्पगुच्छ का अधिक मात्रा में होना बहुत जरूरी है और नाइट्रोजन की अधिकता से धान में अधिक पुष्पगुच्छ का विकास होता है जिससे कि धान का पैदावार अधिक होता है। 

धान की अधिक पैदावार के उपाय

अगर आप अपने धान की अधिक पैदावार चाहते हैं तो आगे आपको कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिन्हें फॉलो करके आप धान की अधिक मात्रा में पैदावार कर सकते हैं। 

धान की अधिक पैदावार के उपाय में प्रमुख उपाय यह है की आप अपने धान में नाइट्रोजन का इस्तेमाल जरूर करें और धान में पानी की मात्रा कभी कम ना होने दें कई जगह पर तो धान को दो बार रोपा जाता है जिससे कि धान की जड़ों की मजबूती अधिक हो जाती है और धान अधिक पैदा होता है। 

पहाड़ी इलाकों में धान की अधिक पैदावार के उपाय-

अगर आप पहाड़ी इलाकों में धान को अधिक मात्रा में पैदा करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे प्रमुख है की खेत में क्यारी बनाना। खेत में क्यारी बनाने से पानी प्रत्येक क्यारी में सही मात्रा में उपस्थित रहता है क्योंकि अधिकतम पहाड़ी इलाकों में ढलान वाली जगह होती है जिससे कि पानी ढलान वाले जगह पर अधिक मात्रा में उपस्थित हो जाता है लेकिन ऊंचाई वाले स्थानों पर पानी की मात्रा कम रह जाती है तो क्यारी बनाकर आप पानी को सही से रोक पाएंगे और धान की पैदावार अधिक मात्रा में होगी। 

पहाड़ी इलाकों में लोग धान की 2 से तीन बार रोपाई करते हैं  जिसे कुछ ग्रामीण इलाकों में संडा लगाना भी कहा जाता है संडा लगाना भी धान की अधिक पैदावार के उपाय में प्रमुख उपाय जिससे धान के जड़ कम पानी में भी अधिक मजबूती से भूमि में पकड़ लेते हैं और अधिक मात्रा में ऊर्जा को अपने अंदर लेकर धान को अधिक मात्रा में पैदा करने में सहायता प्रदान करते हैं।

Conclusion-

हम आशा करते हैं कि आपको पता चल ही गया होगा कि चावल की खेती कैसे होती है और आपको यह भी पता चल ही गया होगा कि धान की खेती में खाद को कैसे उपयोग करें। आप अपने उन्नत खेती करने के अनुभव को हमारे साथ जरूर साझा करें ताकि हम अपनी आर्टिकल को अधिक ज्ञानवर्धक बना सकें और Read Hindi News के Readers को सम्पूर्ण मिल सके धन्यवाद। 

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